Welcome to our spiritual journey through the sacred Sunderkand Path. As devotees, we embark on this deeper search, seeking comfort, guidance, and knowledge. Sunderkand, a chapter of the revered Ramayana, has the power to touch our hearts with its timeless wisdom and divine presence. It is in this inner journey that we discover the hidden treasures of devotion and surrender, as we delve deeper into the sacred story of Lord Hanuman’s selfless journey.
Together, in contemplative voice, we engage the Divine essence of the Beautiful Sunderkand Path, paving the way for spiritual awakening, and nourishing our souls with the essence of unconditional love.
Sunderkand Path in hindi (by Gita Press Gorkhpur)
आप इस आर्टिकल के निचे दिए गए डाउनलोड लिंक से Sunderkand PDF डाउनलोड कर शाक्तें हैं। अगर आप सुंदरकांड पाठ हिंदी (SunderKand Path by Gita Press Gorkhpur) हिन्दी पीडीएफ़ डाउनलोड करना चाहते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको दे रहे हैं सुन्दरकाण्ड पाठ (Sunderkand Path) के बारे में सम्पूर्ण जानकारी और पीडीएफ़ का डायरेक्ट डाउनलोड लिंक।
सुंदरकांड का पाठ करने से बजरंगबली खुश होते हैं तथा हमे मन चाहा वरदान देते हैं। SunderKand Path हमारे मन को शांति देता है तथा हमारे जीवन से सरे कष्टों और दुखो का मिटा देता है। आप सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी पीडीऍफ़ को डाउनलोड करे इससे पहले आपको इस महान पाठ के बारें कुछ बेहद जरूर बातो को जानना बहुत जरूरी है जो आपका बहुत किमती समय और ऊर्जा बचा सकता है।
सुंदरकांड का पाठ प्रत्येक मंगलवार या शनिवार को किया जाता है। इसका पाठ अकेले में या समूह के साथ संगीतमय रूप में किया जाता है। सुन्दरकाण्ड का नियमित पाठ जीवन की समस्त बाधाओं का नाश करता है। इससे धन, संपत्ति, सुख, वैभव, मान-सम्मान आदि प्राप्त होता है।
Sunderkand Path with hindi meaning
1 – जगदीश्वर की वंदना
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्। रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं वन्देऽहंकरुणाकरं रघुवरं भूपालचूडामणिम् ॥1॥
भावार्थ: शान्त, सनातन, अप्रमेय (प्रमाणों से परे), निष्पाप, मोक्षरूप परमशान्ति देने वाले, ब्रह्मा, शम्भु और शेषजी से निरंतर सेवित, वेदान्त के द्वारा जानने योग्य, सर्वव्यापक, देवताओं में सबसे बड़े, माया से मनुष्य रूप में दिखने वाले, समस्त पापों को हरने वाले, करुणा की खान, रघुकुल में श्रेष्ठ तथा राजाओं के शिरोमणि राम कहलाने वाले जगदीश्वर की मैं वंदना करता हूँ
2 – रघुनाथ जी से पूर्ण भक्ति की मांग
नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुंगव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितंकुरु मानसं च ॥2॥
भावार्थ: हे रघुनाथजी! मैं सत्य कहता हूँ और फिर आप सबके अंतरात्मा ही हैं (सब जानते ही हैं) कि मेरे हृदय में दूसरी कोई इच्छा नहीं है। हे रघुकुलश्रेष्ठ! मुझे अपनी निर्भरा (पूर्ण) भक्ति दीजिए और मेरे मन को काम आदि दोषों से रहित कीजिए
3 – हनुमान जी का वर्णन
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तंवातजातं नमामि ॥3॥
भावार्थ: अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कान्तियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान् जी को मैं प्रणाम करता हूँ
4 – जामवंत के वचन हनुमान् जी को भाए
चौपाई:
जामवंत के बचन सुहाए,
सुनि हनुमंत हृदय अति भाए॥
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई,
सहि दुख कंद मूल फल खाई ॥1॥
भावार्थ: जामवंत के सुंदर वचन सुनकर हनुमान् जी के हृदय को बहुत ही भाए। (वे बोले-) हे भाई! तुम लोग दुःख सहकर, कन्द-मूल-फल खाकर तब तक मेरी राह देखना
5 – हनुमान जी का प्रस्थान
जब लगि आवौं सीतहि देखी,
होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी॥
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा,
चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा ॥2॥
भावार्थ: जब तक मैं सीताजी को देखकर (लौट) न आऊँ। काम अवश्य होगा, क्योंकि मुझे बहुत ही हर्ष हो रहा है। यह कहकर और सबको मस्तक नवाकर तथा हृदय में श्री रघुनाथजी को धारण करके हनुमान् जी हर्षित होकर चले
6 – हनुमान जी का पर्वत में चढ़ना
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर,
कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर॥
बार-बार रघुबीर सँभारी,
तरकेउ पवनतनय बल भारी ॥3॥
भावार्थ: समुद्र के तीर पर एक सुंदर पर्वत था। हनुमान् जी खेल से ही (अनायास ही) कूदकर उसके ऊपर जा चढ़े और बार-बार श्री रघुवीर का स्मरण करके अत्यंत बलवान् हनुमान् जी उस पर से बड़े वेग से उछले
7 – पर्वत का पाताल में धसना
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता,
चलेउ सो गा पाताल तुरंता॥
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना,
एही भाँति चलेउ हनुमाना ॥4॥
भावार्थ: जिस पर्वत पर हनुमान् जी पैर रखकर चले (जिस पर से वे उछले), वह तुरंत ही पाताल में धँस गया। जैसे श्री रघुनाथजी का अमोघ बाण चलता है, उसी तरह हनुमान् जी चले
8 – समुन्द्र का हनुमान जी को दूत समझना
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी,
तैं मैनाक होहि श्रम हारी ॥5॥
भावार्थ: समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम दे)।
Rules of Sunderkand Path (सुन्दरकाण्ड पाठ के नियम)
- यदि आप अकेले सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहते हैं तो प्रात:कालीन समय, ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच किया जाना चाहिए।
- यदि आप समूह के साथ सुन्दरकाण्ड का पाठ कर रहे हैं तो शाम को 7 बजे के बाद किया जा सकता है।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या को करना श्रेष्ठ रहता है।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ करते समय इसकी पुस्तक को अपने सामने किसी चौकी या पटिए पर स्वच्छ कपड़ा बिछाकर रखना चाहिए।
- इसकी पुस्तक को कभी भी जमीन पर या पैरों के पास नहीं रखना चाहिए।
- सुन्दरकाण्ड का पाठ अपने घर के स्वच्छ कमरे में या मंदिर में किया जा सकता है।
- पाठ प्रारंभ से पूर्व हनुमान जी का आह्वान एवं समापन पर विदाई अवश्य करें चाहिए।
Benefits of Sunderkand Path (सुन्दरकाण्ड पाठ करने के फायदे)
ऐसा माना जाता है कि पाठ करने वालों और श्रोताओं को इसके लाभों के संदर्भ में, Sunderkand Path अन्य किसी भी चीज़ की तरह महान लाभ प्रदान नहीं करता है। Sunderkand Path कष्ट, चिंता और मानसिक पीड़ा को दूर करता है। यह आशा, साहस और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। कहा जाता है कि सुंदर कांड जाप करने वालों और श्रोताओं को समृद्धि, भाग्य, स्वास्थ्य और धन प्रदान करता है।
सुन्दरकाण्ड पाठ रामायण का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जिसमें भगवान हनुमान की वीरता, बुद्धि और भक्ति के अनूठे परिचय होते हैं। इस अध्याय में हनुमानजी लंका जा कर सीता माता की खोज करते हैं और उन्हें सुरक्षित ढूंढ लेते हैं। Sunderkand Path का पाठन धर्मिक और आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने वाला माना जाता है। सुंदरकांड पाठ हमें आत्मविश्वास, वीरता, धैर्य, बुद्धि और भक्ति के महत्व को समझाता है।
Sunderkand Path करने से घर के वातावरण में शुद्धि, सकारात्मक ऊर्जा और शांति बनी रहती है। इस पाठ को नियमित रूप से करने से व्यक्ति को आत्मिक विकास, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, एवं समाजिक समृद्धि का लाभ होता है। भगवान हनुमान की कृपा से व्यक्ति की सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं और वह जीवन में सफलता प्राप्त करता है।
Ramcharitmanas Kand (रामचरितमानस के काण्ड)
रामचरितमानस में कुल मिलाकर सात (7) काण्ड हैं। इन काण्डों के नाम हैं,
बालकाण्ड (Bal Kand)
अयोध्याकाण्ड (Ayodhya Kand)
अरण्यकाण्ड (Aranya Kand)
किष्किन्धाकाण्ड (Kishkindha Kand)
सुन्दरकाण्ड (Sundar Kand)
लंकाकाण्ड (Lanka Kand)
उत्तरकाण्ड (Uttar Kand)
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