Sri Suktam – (श्री सूक्त) PDF Download

Sri Suktam is a devotional song recited in order to receive blessings of prosperity, goodness, health, wealth, and well-being, according to the Rig Veda.

It is entirely devoted to Laxmi, the goddess. It is also known as Laxmi Suktam for this reason. You are all aware that Maa Lakshmi is the Goddess of abundance, money, and success. People who chant Sri Suktam in front of a Shree Yantra never experience lack or any sort of unfavourable energy.

Sri Suktam – Meaning

You can fully comprehend the song and its advantages if you know what Sri Suktam means in English.

The advantages of reciting Sri Suktam Path are as follows:

  • Grace and blessings
  • Wealth, fortune, and prosperity of all types
  • Good health, wealth, long life, peace, prosperity & contentment
  • Immense Wealth & Kingly Lifestyle
  • Good luck and immense prosperity

Sri Suktam in Hindi

श्री सूक्त पाठ इन हिंदी

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्ण रजतस्रजां |
चंद्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ||1||

हिंदी अर्थ : हे देवों के प्रतिनिधि अग्निदेव, सुवर्ण की तरह वर्णवाली, दरिद्रता को दूर करने वाली हरिणी की तरह गतिवाली, सुवर्ण और चांदी की माला धारण करने वाली चंद्रमा की तरह शीतल। पुष्टिकरी, सुवर्णरूप, तेजस्वी, लक्ष्मीजी को मेरे यहाँ मेरे उद्धार के लिए लाओ।

ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम |
यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहं ||2||

हिंदी अर्थ : जिसने वेदो प्राप्त किया है, हे लक्ष्मी नारायण, ऐसी अविनाशी लक्ष्मी को मेरे पास ले आओ। जिससे मैं सुवर्ण, गाय, पृथ्वी, घोड़ा, इष्टमित्र (पुत्र-पौत्रादि-नौकर) को पा सकूँ।

ॐ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनाद प्रबोधिनीम |
श्रियं देवी मुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषतां ||3||

हिंदी अर्थ : सेना के आगे दौड़ते अश्व के मध्य में बैठी हुई है, हाथियों के नाद से ज्ञात होता है कि लक्ष्मी आई है। मैं ऐसी लक्ष्मी का आह्वान करता हूँ जो मेरे ऊपर सदा कृपा करती है। मैं स्थिर लक्ष्मी का आह्वान करता हूँ, तुम मेरे यहाँ आओ और स्थिर रहो।

ॐ कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीं |
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियं ||4||

हिंदी अर्थ : जो अवर्णनीय और मधुर हास्यवाले है, जो सुवर्णरूपी तेजोमय पुंज से प्रसन्न, तेजस्वी और क्षीर समुद्र में रहनेवाले षडभाव से रहित भावना से प्रकाशमान है। और सदा तृप्त होने से भक्तों को भी तृप्त रखनेवाली अनासक्ति की प्रतिक कमल के आसन पर बिराजमान है। और कमल की तरह सुंदर रूप वाली लक्ष्मीजी को मेरे घर में आने के लिये आग्रह करता हु।

ॐ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम |
तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वं वृणे ||5||

हिंदी अर्थ : चन्द्रमा की तरह प्रकाशमान, सुखद, स्नेह, कृपा से भरपूर, सर्व देवोसे युक्त, कमल की तरह अनासक्त लक्ष्मी की शरण में मैं जा रहा हूँ। दुर्गा की कृपा से मेरी दरिद्रता दूर होगी, इसलिए मैं माँ लक्ष्मी का वरण करता हूँ।

ॐ आदित्यवर्णे तपसोधिजातो वनस्पतिस्तव वृक्षोथ बिल्वः |
तस्य फलानि तपसा नुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मीः ||6||

हिंदी अर्थ : सूर्य की तरह तेजस्वी माँ जगतमाता, आप लोगों का कल्याण करने के लिए एक वनस्पति के रूप में बिल्ववृक्ष को उत्पन्न किया है। आपकी कृपा से बिल्ववृक्ष मेरे अंतःकरण में रहता है और अज्ञान, कार्य, शोक, मोह आदि जो मेरे अंतः दरिद्र का संकेत हैं। उनका विनाश करनेवाले हैं, जैसे धनभाव मेरे बाह्य दरिद्र को मारता है।

ॐ उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह |
प्रादुर्भूतो सुराष्ट्रेस्मिन कीर्तिमृद्धिं ददातु में ||7||

हिंदी अर्थ : देवी माँ लक्ष्मीजी जो महादेव के सखा कुबेर और यश के अभिमानी देवता चिंतामणि सहित मुझे प्राप्त हो। में इस राष्ट्र में जन्मा हु, इसलिए वो कुबेर मुझे जगत में व्याप्त हुई लक्ष्मी को प्रदान करे यश-समृद्धि-ब्रह्मवर्चस दीजिये।

ॐ क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठांलक्ष्मीं नाशयाम्यहं |
अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्णुद में गृहात ||8||

हिंदी अर्थ : मैं सुलक्ष्मी को प्राप्त करूँगा. सबसे पहले, मैं अपने कमजोर शरीर को, जो दरिद्रता और मलिनता से भरा हुआ है, उद्योगों से नष्ट करूँगा। हे महालक्ष्मी, मेरे घर में अभाव और दरिद्रता को दूर करो।

ॐ गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करिषिणीम |
ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियं ||9||

हिंदी अर्थ : मैं आपको अपने देश में आने के लिये आमंत्रित करता हूँ। हे अग्निनारायण देव, सुगंधवाले, जो सदा पुष्ट, सुखद, समृद्ध और सृष्टि को अपने नियमानुसार रखनेवाले पृथ्वी की तरह है।

ॐ मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि |
पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ||10||

हिंदी अर्थ : हे माँ लक्ष्मीजी, आपकी कृपा से मैं खुशी, शुभ संकल्प, और प्रमाणिकता पाता हूँ। आपकी कृपा से मैं गौ जैसे पशुओं को भोजन और सभी प्रकार की संपत्ति पाता हूँ।

ॐ कर्दमेन प्रजाभूता मयि संभव कर्दम |
श्रियं वासय में कुले मातरं पद्ममालिनीं ||11||

हिंदी अर्थ : लक्ष्मी देवी कर्दम नामक पुत्र से आप युक्त हो, हे लक्ष्मी पुत्र कर्दम, आप मेरे घर में खुशी से रहो। कमल की माला धारण करनेवाली आपकी माता श्री लक्ष्मी, मेरे घर में स्थिर रहो। लक्ष्मी जो अपने पुत्र से प्यार करती है, वह अपने पुत्र के पीछे दौड़ती है।

ॐ आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस में गृहे |
नि च देविं मातरं श्रियं वासय मे कुले ||12||

हिंदी अर्थ : हे लक्ष्मीजी के पुत्र चिक्लीत, जिसके नाम मात्र से लक्ष्मीजी आर्द्र (पुत्र प्रेम से जो स्नेह से भीग जाती है) कृपा करके मेरे घर में रहो। जल से उत्पन्न हुई लक्ष्मीजी मेरे घर में स्नेहपूर्ण मंगल कार्य करती रहे, ऐसा मुझे आशीर्वाद दो।

ॐ आर्द्रां यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीं |
सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ||13||

हिंदी अर्थ : हे जातवेद अग्नि से भीगे हुए अंगोंवाली, कोमल हृदयवाली, जिसने धर्मदण्ड की लकड़ी हाथ में रखी है। सुशोभित वर्णवाली, जिसने स्वयं सुवर्ण की माला पहनी है। वो जिसकी कांति तेजस्वी सूर्य के समान है, ऐसी लक्ष्मी मेरे घर आओ, सदा रहो।

ॐ आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टिं पिंगलां पद्ममालिनीं |
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ||14||

हिंदी अर्थ : देवी जातवेद अग्नि, भीगे हुए अंगों वाली आर्द्र (जो हमेशा हाथी की सूंढ़ से अभिषेक होता है) हाथो में पद्म धारण करने वाली, गौरवर्ण वाली, चंद्र की तरह प्रसन्न करने वाली, भक्तों को पुष्ट करने वाली तेजस्वी लक्ष्मी को मेरे पास भेजो।

ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम |
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योश्वान विन्देयं पुरुषानहं ||15||

हिंदी अर्थ : हे अग्निनारायण, आप मेरा कभी साथ नहीं छोड़ेंगे, ऐसी अक्षय लक्ष्मी को मेरे लिए भेजने की कृपा करें। जिसके आगमन से मैं बहुत धन-सम्पत्ति, गौ-दास-दासिया-घोड़े-पुत्र-पौत्रादि आदि को पाऊँगा।

ॐ यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहयादाज्यमन्वहं |
सूक्तं पञ्चदशचँ च श्रीकामः सततं जपेत ||16||

हिंदी अर्थ : जिस व्यक्ति को अपार धन या संपत्ति प्राप्त करने की इच्छा हो। उसे हर दिन स्नान करके पूर्ण भाव से अग्नि में इस ऋचाओं द्वारा गाय के घी से यज्ञ करने पर लाभ मिलेगा।

Sri Suktam Path Vidhi

श्री सूक्त पाठ के महत्वपूर्ण नियम

Sri Suktam एक बेहद महत्वपूर्ण पाठ है, इसलिए इसे सही विधि नियम के साथ ही उपयोग में लेना चाहिए।

  • श्री सूक्तम पाठ से पहले स्नान कर के खुद को स्वत्छ कर लीजिये।
  • पाठ करने के लिए सुबह सूर्योदय का समय चुने तो अच्छा है।
  • या आप चाहे तो पंडित जी द्वारा कोई शुभ मुहृत भी निकलवा सकते हो।
  • ध्यान रहे पाठ समय अपनी बाएं हाथ को दाहिनी तरफ मोड़ना है।
  • श्री सूक्त पाठ के दौरान सभी मंत्रो का सही उच्चारण करना जरुरी है।
  • इस विशेष मंत्र का पाठ करने के बाद हवन करना लाभकारक है।

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